मैंने ख़ुद ही
रास्ता ढूंढ़ लिया ,
बाहर जाके टैक्सी वाले से पूंछा :
" भाई साहब लाल किले का कितना लोगे ?"
जवाब मिला: " बेचना नही है ."
टैक्सी छोड़ , मैंने बस पकड़ ली ,
कंडेक्टर से पूंछा: "जी , क्या मैं सिगरेट पी सकता हूँ ?"
वो गुर्र्रा कर बोला : "हरगिज़ नही , यहाँ सिगरेट पीना मन है."
मैंने कहा: "पर वो जनाब तो पी रहे है!"
फिर से गुर्र्र्राया : "उसने मुझसे पूंछा नही है."
लाल किले पंहुचा , होटल गया .
मेनेजर से कहा: "मुझे रूम चाहिए , सातवी मंजिल पे ."
मेनेजर ने कहा: "रहने के लिए या कूदने के लिए ?"
रूम पंहुचा , वेटर से कहा:
" एक पानी का गिलास मिलेगा ?"
उसने जवाब दिया: "नही साहब , यहाँ तो सारे कांच के मिलते हैं."
होटल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए ,
रस्ते मी एक साहब से पूंछा:
" जनाब , ये सड़क कहाँ को जाती है ?"
जनाब हंस कर बोले: "पिछले बीस साल से देख रहा हूँ , यही पड़ी है... कहीं नहीं जाती." ....
Wednesday, August 5, 2009
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